ध्येयः सदा सवितृ-मण्डल-मध्यवर्ती। नारायणः सरसिजाआसन सन्निविष्टः। केयूरवान् मकर-कुण्डलवान किरीट। हारी हिरण्यमय वपुर्धृत शंख-चक्र।।
सौरमण्डल के मध्य में, कमल के आसन पर विराजमान सूर्य नारायण जो बाजूबंद, मकर की आकृति के कुण्डल, मुकुट, शंख, चक्र धारण किये हुए तथा स्वर्ण आभायुक्त शरीर वाले हैं, उनका मैं सदैव ध्यान करता हूँ।